करीब ढाई करोड़ रुपये की फिजूलखर्ची के साथ पंजाब में आम आदमी पार्टी सत्ता पर आसीन। अपनी जीत को क्रांति बताने वाली आआपा ने केवल मुख्यमंत्री के शपथग्रहण समारोह पर खर्च कर पहले से ही कर्ज के बोझ तले दबे प्रदेश पर डाला आर्थिक बोझ। शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन भगत सिंह के गांव में हुआ, लेकिन उनके बलिदानी साथियों राजगुरु और सुखदेव का नाम तक नहीं लिया गया।
पंजाब में आम आदमी पार्टी की नई सरकार बन गई। आज मुख्यमंत्री के तौर पर भगवंत मान ने पद व गोपनीयता की शपथ ली। शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़कलां में राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने उन्हें शपथ दिलवाई। इस मौके पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप-मुख्यमंंत्री मनीष सिसोदिया सहित आआपा के कई वरिष्ठ नेता व पंजाब से आए पार्टी के भारी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे। अपनी जीत को क्रांति बताने वाली आआपा सरकार गठन के पहले ही दिन चर्चा में है। शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन देश के महान क्रांतिकारी के गांव में किया गया, लेकिन किसी ने बलिदानी क्रांतिकारियों का नाम तक नहीं लिया। यही नहीं, समारोह को लेकर सोशल मीडिया पर यह बहस छिड़ी है कि पहले से ही कर्जे के बोझ में तले दबे पंजाब को नवनियुक्त सरकार ने फिजूलखर्ची कर सरकारी खजाने पर करीब ढाई करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ डाल दिया।
किसानों को मुआवजा कौन देगा- पार्टी या सरकार?
पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान के शपथ ग्रहण समारोह पर सरकारी धन तो खर्च हुआ ही, इससे भी अधिक की चोट किसानों को लगी है। समारोह के लिए शहीद भगत सिंह के आसपास के 45 खेत किसानों से किराए पर लिए गए। इन खेतों में गेहूं की फसल लगभग तैयार थी, जो शपथ ग्रहण समारोह की भेंट चढ़ गई। फसल उजाड़ कर इन खेतों में टेंट लगाए गए और बड़ी संख्या में आए वाहनों को खड़ा किया गया। हालांकि आआपा की ओर से किसानों को मुआवजे का आश्वासन दिया गया है, लेकिन यह मुआवजा पार्टी अपनी ओर से देगी या इसका बोझ भी सरकारी खजाने पर डालेगा, यह स्पष्ट नहीं है।
शपथ ग्रहण समारोह में करीब एक लाख लोगों के बैठने और खाने की व्यवस्था की गई थी। पंडाल में 40 हजार कुर्सियां लगाने की बात कही जा रही है। जिन खेतों से फसल उजाड़े गए, उनमें 25 हजार वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था की गई थी। पंजाब के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब शपथ ग्रहण समारोह राजधानी में राजभवन के बाहर आयोजित किया गया। इसके साथ एक नई रवायत भी शुरू हुई है। वह है शपथ ग्रहण के नाम पर फिजूलखर्ची का। जाहिर है इस तामझाम पर जो राशि खर्च हुई, उसका बोझ प्रदेश के लोगों पर ही पड़ने वाला है।
वित्त विभाग ने दी खर्च को मंजूरी
शपथ ग्रहण समारोह के लिए वित्त विभाग ने धनराशि जारी की है। वित्त विभाग के अनुसार समारोह के आयोजन पर करीब 2 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इस संबंध में विभाग ने उपायुक्त शहीद भगत सिंह नगर (नवांशहर) को 2 करोड़ रुपये जारी भी कर दिए हैं। प्रदेश के लोगों को पहले ही दिन से दिखने लगा कि अलग तरह की राजनीति करने का दम भरने वाली आआपा ने किस तरह कांग्रेस संस्कृति को अपना लिया है। नेताओं के सुगम आवागमन के लिए आम लोगों के लिए यातायात रोक दिया गया। लोगों को सबसे ज्यादा यह बात अखर रही है कि कथित क्रांतिकारी पार्टी ने वास्तविक तिकारियों से भी भेदभाव किया है। पूरे समारोह का केंद्र बिंदु भगत सिंह रहे, जबकि उनके अन्य साथियों राजगुरु व सुखदेव का नाम तक लेना मुनासिब नहीं समझा गया।