राष्ट्रीय बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने रायसेन के ईंटखेड़ी गांव में ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित आवासीय विद्यालय का औचक निरीक्षण कर कन्वर्जन के कुचक्र की खोली पोल
मध्य प्रदेश के रायसेन पहुंचे राष्ट्रीय बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सुल्तानपुर तहसील के ईंटखेड़ी गांव में ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित एक आवासीय विद्यालय का दौरा किया। बता दें कि पिछले कुछ समय से यहां पर बच्चों के कन्वर्जन एवं ब्रेनवॉश की सूचनाएं लगातार आयोग को मिल रहीं थीं। आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जब औचक निरीक्षण किया तो काफी अनियमितताएं पाई गईं। कक्षा 6 से लेकर 10वीं तक के बच्चे यहां हैं। दस्तावेजों के अनुसार वहां 30 बच्चे दर्शाए गए हैं, लेकिन वहां मात्र 19 बच्चे मौजूद मिले। कई जनजातीय बच्चों को मणिपुर, असम, अरुणाचल, केरल जैसे सुदूर राज्यों से यहां लाया गया है। जिनकी व्यापक जानकारी प्रबंधक नहीं दे पाए। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि बच्चों के बस्तों से बाइबल, प्रेयर आदि सहित कई ऐसी पुस्तकें मिली हैं, जिनसे कन्वर्जन के कुचक्र की जानकारी और भी पुष्ट होती है। इस संबंध में एनसीपीसीआर के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया कि मिशनरी स्कूल के औचक निरीक्षण के दौरान परिसर में कई अनियमितताएं पाई गईं। यहां के वनवासी बच्चों को ईसाइयत से जुड़ी सामग्री पढ़ाई जा रही थी। इस दौरान उनके बिस्तरों से बाइबल की किताबे भी मिली हैं। साथ ही हमें यह भी जानकारी मिली कि उत्तर पूर्व के बच्चों को यहां लाया गया है जिन्हें एक खास प्रकार का प्रशिक्षण देकर तैयार किया जा रहा है। इसलिए काफी कुछ जांच का विषय है कि यह बच्चे यहां कैसे आए, कैसे रह रहे हैं। उनके कन्वर्जन का कुचक्र रचा जा रहा है, जो न केवल कानूनी रूप से गलत है बल्कि अपराध है। हम इस पर कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं।
गौरतलब है कि रायसेन जिला वनवासी क्षेत्रों में आता है। यहां बड़ी आबादी वनवासियों की है। बहरहाल, अब बच्चों के बयान प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष लिए जाएंगे, ताकि और चीजें उजागर हो सकें।