हिमाचल प्रदेश

रिटायरमेंट के बाद 5356 कर्मियों को दिया जा रहा OPS का लाभ

धर्मशाला

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार को तपोवन विधानसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि वर्तमान सरकार ने एक लाख 36 हजार के करीब सरकारी कर्मियों को 2003 से बंद ओल्ड पेंशन को दोबारा देने का फैसला पहली ही कैबिनेट में किया है। 30 दिसंबर, 2022 से 31 अक्तूबर, 2025 तक कुल 26324 कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए। इनमें से 5356 कर्मचारियों को सेवानिवृत्त होने पर ओल्ड पेंशन स्कीम प्रदान की जा रही है। सरकार की ओर से अब सभी पात्र कर्मचारियों को सेवानिवृत्त होने पर ओपीएस प्रदान की जा रही है, इसमें उनका ईपीएफ अंश जमा होने पर ही शिफ्ट किया जा रहा है। जैसे-जैसे कर्मचारी सेवानिवृत्त होते जाएंगे, सरकारी खजाने पर इस योजना का बोझ बढ़ता जाएगा। तीन साल में कुल 21 हजार कर्मचारियों ने रिटायर होने पर एनपीएस की जगह ओपीएस को चुना है। उन्होंने कहा कि यह योजना राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लागू की गई है। सीएम सुक्खू ने कहा कि केंद्र सरकार में राज्य के कर्मचारियों का ईपीएफ के रूप में 10 हज़ार करोड़ से अधिक बजट फंसा हुआ है, जिससे सेवानिवृत्त कर्मियों के पेंशन एरियर को प्रदान करने में दिक्कतें आ रही हैं। मुख्यमंत्री ने यह जानकारी प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में सदन में दी। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि इस निर्णय से आने वाले समय में राज्य की आर्थिक स्थिति पर असर जरूर पड़ेगा, लेकिन उसके लिए आर्थिक स्थिति को सुधारने को लिए कार्य किया जा रहा है। इससे पहले केंद्र से एनपीएस के तहत राज्य सरकार को 1600 करोड़ अतिरिक्त मिलते थे, वह राशि बंद कर दी गई है।

सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों के बेहतर जीवन-यापन के लिए पहली कैबिनेट में इस वादे को पूरा किया गया। ओपीएस से एनपीएस में जाने का शेयर 50-50 फीसदी जाता है, जोकि 10 हजार के करीब ईपीएफ फंड केंद्र सरकार में जमा है। इसमें ओपीएस मिलने पर वह राज्य सरकार के फंड में जमा होने चाहिए, जबकि वह अभी केंद्र की ओर से ही शेयर मार्केट में लगाया जा रहा है। उक्त फंड के मिलने पर पूर्व सरकार के समय के पेंडिगं पेंशनर्ज के एरियर को भी दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ओपीएस बहाल किए जाने से राज्य के एक लाख 17 हजार कर्मियों को लाभ दिया जा रहा है। कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति होने पर अपना अंशदान जमा करवाने पर ही ओपीएस में शिफ्ट किया जा रहा है। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि बार-बार प्रश्न पूछने के बाद उत्तर आज मिल पाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल उठाया कि वर्ष 30 दिसंबर, 2022 से 31-10-2025 तक कितने कर्मचारी ओपीएस में शामिल हुए हैं। इसमें 26324 संख्या बताई जा रही है, जबकि सिर्फ 5356 कर्मचारी ही एनपीएस से ओपीएस में भेजे गए हैं, तो इसमें वित्तीय स्थिति घटी या बढ़ी, वह भी बता दीजिएगा। इसमें कर्मियों को कितना लाभ हुआ है। जयराम ठाकुर नेे कहा कि चुनावों में उनकी गारंटी थी, तो ये निर्णय पूर्ण रूप से राजनीतिक रूप से प्रेरित था। उन्होंने कहा कि एक अन्य सवाल पर अधूरी जानकारी दी गई है, जिसमें आठ हजार से अधिक पदों को सृजित किए जाने की बात कही है। कितने पदों पर नियुक्ति की गई, इस पर कोई जवाब ही नहीं दिया जा रहा है। वहीं, अनुपूरक प्रश्र करते हुए नयना देवी के विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि ओपीएस लागू करके कर्मचारियों को बहुत बड़ा आर्थिक लाभ देने की बात कही जा रही है, जबकि जो आंकड़ा आया है, उसमें 26324 सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों में से मात्र 5356 ने ही ओपीएस ली, जबकि 21 हजार से अधिक ने एनपीएस ही ली है, इसका क्या कारण है। इसी संबंध में सीएम ने उक्त जवाब सदन में रखे।

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