सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि पटाखों के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं है, सिर्फ बेरियम सॉल्ट वाले पटाखे प्रतिबंधित हैं। सर्वोच्च अदालत ने यह भी साफ किया है कि उत्सव की आड़ में प्रतिबंधित पटाखों के इस्तेमाल की इजाजत नहीं है, क्योंकि दूसरों के स्वास्थ्य की कीमत पर उत्सव नहीं मनाया जा सकता। न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि दूसरों की सेहत की कीमत पर उत्सव नहीं मनाया जा सकता। उसने कहा कि उत्सव के नाम पर किसी को दूसरों के स्वास्थ्य के अधिकार का हनन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त है और किसी को दूसरों के जीवन से, खासतौर पर वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों के जीवन से खिलवाड़ की अनुमति नहीं दी जा सकती। पीठ ने कहा कि स्पष्ट किया जाता है कि पटाखों के इस्तेमाल पर पूर्ण पाबंदी नहीं है।
केवल उस तरह की आतिशबाजी पर रोक है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पाई जाती है और नागरिकों, खासतौर पर वरिष्ठ नागरिकों तथा बच्चों की सेहत पर असर के लिहाज से नुकसानदेह है। शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्यों, एजेंसियों और केंद्रशासित प्रदेशों की ओर से पटाखों पर प्रतिबंध लागू करने में किसी भी खामी को बहुत गंभीरता से देखा जाएगा। उसने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि अदालत द्वारा प्रतिबंधित पटाखों के उत्पादन, उपयोग और बिक्री के बारे में जारी निर्देशों के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक-प्रिंट मीडिया और स्थानीय केबल सेवाओं के माध्यम से उचित प्रचार-प्रसार किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध के उल्लंघन की स्थिति में मुख्य सचिव, सचिव (गृह), पुलिस आयुक्त, जिला पुलिस अधीक्षक, थाना प्रभारी व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह होंगे।