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क्या है अन्नदाताओं का अगला प्लान? पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसानों ने दिल्ली के बॉर्डरों पर डेरा जमाया

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क्या है अन्नदाताओं का अगला प्लान? पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसानों ने दिल्ली के बॉर्डरों पर डेरा जमाया

नए कृषि कानून के खिलाफ आंदोलनकारी किसान एक तरफ जहां दिल्ली के सिंघु और टिकरी सीमा पर डटे हुए हैं। वहीं यूपी सीमा पर भी भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत के नेतृत्‍व में हजारों की संख्या में किसान जुट गए। जबकि, हरियाणा के किसानों ने भी कई जगह सड़कों को जाम किया और दिल्ली सीमा के पास प्रदर्शन किया। पंजाब, हरियाणा और यूपी के हजारों किसान शनिवार को दिल्ली की तरफ बढ़े और दिल्ली के बॉर्डरों पर डेरा डाल रखा है और यहां से ही वो आगे की रणनीति बनाएंगे।

 

दिल्ली कूच के लिए राजधानी के बार्डरों पर डेरा जमाये बैठे आंदोलनकारी किसानों से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपील की है कि वह आंदोलन खत्म करें, सरकार बातचीत के लिए तैयार है। वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शनिवार को किसानों से आग्रह किया है कि वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अपील स्वीकार करें और अपने प्रदर्शन को तय स्थल पर ले जाएं ताकि उनके मुद्दे का जल्द से जल्द समाधान होने का रास्ता निकल सके। भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगराहां) के नेता शिंगरा सिंह ने कहा कि हरियाणा के रोहतक जिले के मेहम में रात्रि विश्राम करने के बाद हमने सुबह फिर से दिल्ली की ओर कूच कर दिया है। उन्होंने बताया कि किसानों के एक अन्य समूह ने हरियाणा के जींद जिले के जुलाना में रात्रि विश्राम किया और उन्होंने भी दिल्ली की यात्रा शुरू कर दी है। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी (केएमएससी) के बैनर तले और भी किसान भी राजधानी आने के लिए पंजाब से हरियाणा की सीमा में दाखिल हो गए।

 

केएमएससी के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने बताया कि हमारे किसानों का समूह ट्रैक्टर-ट्रॉली पर सवार होकर शंभू अंतरराज्यीय सीमा से जल्द हरियाणा में दाखिल होगा। उन्होंने शुक्रवार को अमृतसर से दिल्ली के लिए सफर शुरू किया था। पंढेर ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने किसानों के खिलाफ काले कानूनों को लागू किया है। दरअसल, हरियाणा पुलिस ने पंजाब से लगती सीमा और दिल्ली जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर से शुक्रवार शाम तक सभी अवरोधक हटा लिए थे। सैकड़ों की संख्या में आंदोलनकारी, सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प और आंसूगैस के गोले एवं पानी की बौछार का सामना करने के बाद उत्तरी दिल्ली के एक मैदान में शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए पहुंच चुके हैं जबकि हजारों की संख्या में किसान अब भी दिल्ली की सीमा पर मौजूद हैं और उन्होंने अभी यह फैसला नहीं लिया है कि वहीं प्रदर्शन करें या पुलिस द्वारा निर्धारित स्थल पर जाकर अपना विरोध दर्ज कराएं।

 

राकेश टिकैत बोले, अन्नदाता के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं :

मोदीपुरम के टोल प्‍लाजा से दिल्‍ली के लिए भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत के नेतृत्‍व में रवाना हुआ किसानों का काफिला दोपहर में करीब एक बजे परतापुर को पार कर गया। इसके मद्देनजर मेरठ यातायात पुलिस ने परतापुर में अन्‍य वाहनों को रोके रखा, जिससे कुछ समय के लिए वहां पर जाम के हालात बन गए। इससे पहले सिवाया टोल प्लाजा पर स्थानीय मीडिया से बातचीत में भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि अन्नदाता के साथ लगातार अन्याय बर्दाश्त नहीं होगा। देशभर में फसलों का एक ही दाम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्रीय कृषि कानून का भाकियू ने पहले ही विरोध किया है। टिकैत के दिल्ली कूच के एलान के बाद किसान जो कि एक दर्जन से अधिक टैक्ट्रर-ट्रालियों में सवार थे दिल्ली के लिए कूच कर गए। किसानों का कहना है कि वे दिल्ली जाएंगे और सरकार के सामने अपनी बात रखेंगे। राकेश टिकैत ने कहा, यह विचारों की लड़ाई है, जब एक-दूसरे के विचार एक से होंगे लड़ाई खुद खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा, जब तक किसानों की समस्या का समाधान नहीं होगा, भाकियू कार्यकर्ता व किसान सड़क पर ऐसे ही आंदोलन करते रहेंगे।

 

किसानों को क्या है नए कानून से डर

– पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र द्वारा हाल ही में लागू किए गये कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी

– उनकी दलील है कि कालांतर में बड़े कॉरपोरेट घराने अपनी मर्जी चलाएंगे और किसानों को उनकी उपज का कम दाम मिलेगा

– नए कानूनों के कारण मंडी प्रणाली खत्म हो जाएगा। किसानों को अपनी फसलों का समुचित दाम नहीं मिलेगा और आढ़ती भी इस धंधे से बाहर हो जाएंगे

 

क्या है मांग

अहम मांग इन तीनों कानूनों को वापस लेने की है जिनके बारे में उनका दावा है कि ये कानून उनकी फसलों की बिक्री को विनियमन से दूर करते हैं। किसान प्रस्तावित बिजली (संशोधन) विधेयक 2020 को भी वापस लेने की मांग कर रहे। उन्हें आशंका है कि इस कानून के बाद उन्हें बिजली पर सब्सिडी नहीं मिलेगी।अब तक के प्रदर्शन पर एक नजर:

26 नवंबर : पंजाब से हजारों किसान हरियाणा पहुंचे। सीमाई क्षेत्रों में हरियाणा पुलिस ने पानी की बौछार एवं आंसू गैस का इस्तेमाल करके उन्हें रोकने का प्रयास किया। लेकिन बाद में उन्हें आगे बढ़ने दिया गया। दिल्ली जाने के दौरान भाजपा शासित हरियाणा से गुजरते वक्त राजमार्गों एवं कई अन्य स्थानों पर पुलिस के साथ इन प्रदर्शनकारियों की झड़प भी हुई। प्रदर्शनकारियों के एक बड़े समूह ने पानीपत के समीप रात में डेरा डाला।

27 नवंबर : प्रदर्शनकारी दिल्ली की सीमा पर टिकरी और सिंघू में इकट्ठा हुए। पुलिस ने बैरीकेड हटाने से रोकने के लिए उन पर पानी की बौछार एवं आंसू गैस का इस्तेमाल किया। बैरीकेड के तौर पर बालू से लदे ट्रक भी खड़े किए गए थे। शाम को उन्हें शहर में दाखिल होने और बुराड़ी मैदान में प्रदर्शन जारी रखने की पेशकश की गई। लेकिन किसानों ने दिल्ली जाने से मना कर दिया।

28 नवंबर : दिल्ली की सीमा पर शनिवार को गतिरोध जारी रहा। पंजाब तथा हरियाणा से और कई किसान दिल्ला की आ रहे है। यूपी से कई किसान संगठन भी दिल्ली आने की तैयारी में