राष्ट्रीय

सुप्रीम कोर्ट की प्रवर्तन निदेशालय को फटकार, कानून के दायरे में

 नई दिल्लीे

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने दोटूक कहा कि ईडी किसी बदमाशों की तरह व्यवहार नहीं कर सकता और उसे कानून के दायरे में रहकर ही काम करना होगा। ईडी द्वारा दर्ज किए गए मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में 10 फीसदी से भी कम दोषसिद्धि की दर होने को लेकर कोर्ट ने कहा कि वह न सिर्फ लोगों की स्वतंत्रता के बारे में चिंतित है, बल्कि उसे ईडी की छवि की भी चिंता है। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस एनके सिंह की बेंच विजय मदनलाल चौधरी के मामले में दिए गए फैसले के खिलाफ दायर की गई पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि अभियुक्त को ईसीआईआर की कॉपी उपलब्ध करवाने की कोई बाध्यता नहीं है।

जांचकर्ता असमर्थ हैं, क्योंकि मुख्य अभियुक्त केमैन द्वीप जैसी जगहों पर भाग जाते हैं, जिसकी वजह से जांच में फिर दिक्कत आती है। एएसजी ने कोर्ट के सामने कहा कि धूर्त के पास बहुत साधन है और जबकि बेचारे जांच करने वाले अधिकारी के पास नहीं होते। इसके जवाब में जस्टिस भुइयां ने कहा कि आप (ईडी) किसी धूर्त की तरह व्यवहार न करें, आपको कानून के दायरे में रहकर काम करना होगा। मैंने एक सुनवाई के दौरान यह देखा कि आपने लगभग 500 ईसीआईआर रजिस्टर किए हैं, और दोषी साबित करने की दर सिर्फ 10 फीसदी से भी कम है। इसीलिए हम यह कहते हैं कि आप अपने जांच और गवाहों को बेहतर बनाइए। हम लोग स्वतंत्रता की बात कर रहे हैं। हमें ईडी की छवि की भी चिंता है। पांच-छह सालों तक हिरासत में रखने के बाद अगर लोग बरी हो जाते हैं, तो इसकी भरपाई कौन करेगा?

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