Friday, November 22, 2024

राज्य

काकोरी कांड के नायकों को आज ही के दिन दी गई थी फांसी, 4600 रुपये की लूट के लिए अंग्रेजों ने खर्च किए 10 लाख

लखनऊ: स्वतंत्रता आंदोलन में राजधानी के काकोरी कांड की घटना स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। क्रांतिकारियों ने इस घटना को अंजाम देकर पूरे देश में अंग्रेजों के विरुद्ध एक नई क्रांति के बिगुल का सूत्रपात किया था। काकोरी कांड ने अंग्रेजी हुकूमत को किस कदर हिला दिया था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि घटना को अंजाम देने वाले क्रांतिकारियों को पकड़ने लिए अंग्रेजी हुकूमत ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। महज 4600 रुपये लूटने वाले इन क्रांतिकारियों को गिरफ्तार करने के लिए करीब 10 लाख रुपये खर्च किए थे।
नौ अगस्त 1925 को काकोरी में अंग्रेजों के लूटे गए खजाने से स्वतंत्रता आंदोलन को गति मिली थी। देश को आजादी दिलाने के लिए ब्रिटिश राज के खिलाफ छिड़ी जंग में क्रांतिकारियों को हथियार खरीदने थे, जिसके लिए अंग्रेजी सरकार के खजाने को लूटने की योजना बनाई गई थी।
10 महीने चला था मुकदमा
इस घटना से बौखलाई अंग्रेजी सरकार ने अपनी पूरी ताकत लगा दी और क्रांतिकारियों पर सरकार के खिलाफ सशस्त्र युद्ध छोड़, सरकारी खजाना लूटने और हत्या करने का केस चलाया। करीब 10 महीने मुकदमा चला। फिर क्रांतिकारियों को सजा सुनाई गई थी।
दो चरणों में चला मुकदमा
दिसंबर 1925 से अगस्त 1927 तक लखनऊ के रोशनद्दौला कचहरी फिर बाद में रिंंक थियेटर में यह मुकदमा दो चरणों में चला। काकोरी षडयंत्र केस और पूरक केस। इस मुकदमे में एक खासबात यह थी कि इसमें वह एक्शन भी शामिल कर लिए गए, जिनका काकोरी कांड से कोई संबंध नहीं था। जैसे 25 दिसंबर 1924 को पीलीभीत जिले के बमरौला गांव, नौ मार्च 1925 को बिचुरी गांव, और 24 मई 1925 को प्रतापगढ़ जिले के द्वारकापुर गांव में किए गए एक्शन।