आज UN में भारत-रूस के दोस्ती की अग्निपरीक्षा, G7 देशों ने कहा- रूसी सदस्यता को निलंबित करने का समय आ गया
यूक्रेन की सड़कों पर लाशें बिखरी देख दुनिया स्तब्ध है। यूक्रेन में रूस की कार्रवाई के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में उसे उसे बेदखल करने का प्रस्ताव पेश किया जाना है। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा की विशेष बैठक बुलाई गई है। अमेरिका 47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद से रूस को निकालने का प्रस्ताव लेकर आ रहा है। प्रस्ताव से पहले आज सात औद्योगिक देशों के समूह जी 7 ने गुरुवार को रूस के आक्रमण के बीच यूक्रेन में “अत्याचारों” को लेकर संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार निकाय से रूस को निलंबित करने का आह्वान किया। कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका के जी-7 विदेश मंत्रियों ने एक बयान में कहा, “हम आश्वस्त हैं कि अब मानवाधिकार परिषद की रूसी सदस्यता को निलंबित करने का समय आ गया है।
400 से ज्यादा शव हटाए गए
यूक्रेन की राजधानी कीव से रूसी जवानों की वापसी के बाद शहर के बाहर सड़कों पर जगह-जगह लोगों के शव पड़े दिखाई दे रहे हैं, जिनमें से कुछ के हाथ बंधे हैं तो किसी के शरीर पर नजदीक से गोलियां लगने और उत्पीड़न के निशान हैं। ऐसे में, यूक्रेनी प्राधिकारियों ने रविवार को रूस पर युद्ध अपराध का आरोप लगाया। बुका में शवों की तस्वीरें सामने आने के बाद यूरोपीय नेताओं ने ज्यादती की निंदा की और मॉस्को के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाए जाने की अपील की। यूक्रेन की महाभियोजक इरिना वेनेदिकतोवा ने कहा कि रूस के कब्जे से हाल में वापस लिए गए कीव क्षेत्र कस्बों से आम लोगों के 410 शव हटाए गए हैं।
यूएन में वोटिंग
7 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र महासभा में वोटिंग होगी। यूएनएचआरसी में रूस को हटाने के लिए ये वोटिंग होगी। ह्यूमन राइट्स के वायलेशन का आरोप रूस के ऊपर लग रहा है। इसके साथ ही वॉर क्राइम का आरोप भी रूस के ऊपर लगाया जा रहा है। जिसको लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में वोटिंग होगी।
क्या करेगा भारत?
अगर भारत भी पहले की तरह इस बार भी मतदान में हिस्सा नहीं लेता तो इससे रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों का हाथ मजबूत होगा। जबकि इससे पहले भारत के वोटिंग से हटने से रूस को मजबूती मिलती थी। ऐसे में भारत करे तो क्या करे। अगर भारत ने रूस के पक्ष में वोट दिया तो उसकी दशकों पुरानी गुटनिरपेक्षता की नीति पर सवाल उठाएगा। पश्चिमी देशों ऊंगली उठाने का मौका मिल जाएगा। वहीं भारत के वोटिंग में हिस्सा नहीं लेने से रूस को कोई मदद नहीं मिलेगी। क्योंकि संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव पास होने के लिए उस्थित सदस्य देशों और डाले गए वोटों के दो तिहाई की ही जरूरत होगी। ऐसे में रूस के दूतावास ने सदस्य देशों को चेतावनी दी है कि वोटिंग में हिस्सा नहीं लेना भी रूस का विरोध करना माना जाएगा। जिसे रूस कम से कम दोस्ताना व्यवहार तो नहीं मानेगा।