कानपुर। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के विरोध में हुए सिखों के नरसंहार में दबौली हत्याकांड की वादी ने सोमवार को विशेष जांच दल (एसआइटी) के सामने अपने बयान दर्ज कराए। उन्होंने उस दिन की पूरी कहानी बताई, लेकिन दंगाइयों के नाम अभी बताने से इन्कार कर दिया। बोलीं, वह जल्द ही कानपुर आकर कांग्रेसी नेता व उसके सहयोगियों के नाम सीधे अदालत को बताएंगी।
31 अक्टूबर, 1984 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में सिखों की हत्याएं हुई। कानपुर में भी 127 सिख दंगों की भेंट चढ गए, जिनकी जांच एसआइटी कर रही है। इन दिनों एसआइटी की एक टीम दबौली में हुए तीन हत्याओं की जांच को पंजाब गई है। तीनों मुकदमों के विवेचक रविवार को पंजाब के बाटला पहुंचे थे, जहां पर उन्हें भगवान सिंह हत्याकांड की वादी उनकी पत्नी सुरेंद्र कौर के बयान दर्ज करने थे। दबौली में सुरेंद्र कौर के पति भगवान सिंह के अलावा पड़ोसी जगजीत सिंह व उनके बेटे हरचरन सिंह, तेज सिंह और उनके बेटे टीटू की हत्या करने के बाद उन्हें जला दिया गया था।
सुरेंद्र कौर ने बताया कि जब भीड़ ने उनके घर पर हमला किया तो छत के रास्ते वह पड़ोस में एक खाली पड़े मकान में जाकर छिप गए। एक बेटा व तीन बेटियां थीं। उस वक्त बड़ी बेटी की उम्र महज 13 साल और बेटे की उम्र पांच साल थी। सभी ने अपनी आंखों से देखा कि किस तरह कांग्रेसी नेता के बुलावे पर आई भीड़ ने पहले उनके पति को जलाकर मार डाला और बाद में पड़ोसी पिता-पुत्रों को मारा।