SG बिल गेट्स और जेम्स कैमरून ने ‘एआई’ को लेकर दी चेतावनी
मुंबई
दुनियाभर में तेजी से एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का इस्तेमाल बढ़ रहा है। यह जिंदगी को आसान बना रही है।
आज कंप्यूटर, स्मार्ट फोन से लेकर रोबोट हर जगह इसका इस्तेमाल हो रहा है। मगर इसी बीच माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स और हॉलीवुड के प्रख्यात निर्देशक जेम्स कैमरून ने इसको लेकर चेतावनी दी है। उनका मानना है कि सिर्फ इसके फायदों की बात कही जा रही है, लेकिन इसके अपने खतरे भी हैं। सरकारों को तेजी से बनाए जा रहे रोबोट्स को कंट्रोल करने की जरूरत है। वर्ना इसके साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं और ये इंसानों के लिए खतरा बन सकते हैं। बिल गेट्स का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एडवांस होती जा रही है। यह प्रेरित करती है। शिक्षा, हेल्थ, बिजनेस और लाइफस्टाइल जैसे सेक्टर में यह अहम भूमिका निभा रहा है। बड़ा बदलाव ला रहा है। इतना ही नहीं, यह दुनियाभर में असमानता और गरीबी को घटा रहा है। बिल गेट्स ने खतरा जताया है कि अगर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस गलत हाथों में पड़ जाए तो यह किसी विलेन की तरह साबित हो सकती है।
गेट्स का कहना है कि सुपर इंटेलिजेंस मशीनें कंट्रोल से बाहर हो सकती हैं और अपनी मर्जी से यह तय कर सकती हैं कि इंसान भी एक खतरा है। इस तरह इंसान की जान मुश्किल में पड़ सकती है। कभी रोबोट की तारीफें गिनाई जाती थीं, अब तक इसके नुकसान गिनाए जा रहे हैं। रोबोट्स के बढ़ते रुतबे पर हॉलीवुड के मशहूर निर्देशक जेम्स कैमरून ने कहा है कि यह इंसानों को कंट्रोल कर रहा है। इसके बाद बिल गेट्स ने अपना बयान दिया। बिल गेट्स ने कहा, ऐसी आशंका है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंट्रोल से बाहर हो सकता है। सुपर इंटेलिजेंट एआई को विकसित किया जाएगा, जो इंसानों के दिमाग के मुकाबले कहीं तेजी से काम करेगा। यह हर वो चीज कर सकेगा जो इंसानी दिमाग करता है। वे कहते हैं, सुपर इंटेलिजेंट एआई समय के साथ और मजबूत होगा। सोचिए क्या होगा अगर दोनों ही भिड़ेंगे तो? क्या हमें एआई को मजबूत बनने से रोकना चाहिए? बिल गेट्स का कहना है, दुनिया को एक ऐसा नियम विकसित करने की जरूरत है जो इसके खतरों से बचा सके और इसके फायदों को सामने ला सके, ताकि लोगों को इसके अधिक फायदे मिल सकें। आसान भाषा में समझें तो एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मतलब है मशीन की समझ और फैसले लेने की क्षमता को बढ़ाना। इसे कम्प्यूटर साइंस का सबसे आधुनिक और विकसित रूप माना जाता है। इसलिए मशीन को दिमाग की तरफ विकसित करने की कोशिशें की जा रही हैं, ताकि वो ज्यादा से ज्यादा इंसानों की तरह सोच सके। वर्तमान में इसका प्रयोग लैंग्वेज प्रोसेसिंग, विजन सिस्टम, स्पीच रिकग्निशन और रोबोट तैयार करने में हो रहा है।