विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने में संगठन की भूमिका की जांच की ज्यादातर सदस्य देशों की मांग सोमवार को मान ली। इस वायरस से पूरी दुनिया में 3,00,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और वैश्विक अर्थव्यस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है।
अफ्रीकी, यूरोपीय और अन्य देशों के गठबंधन कोविड-19 से निपटने में डब्ल्यूएचओ की भूमिका की स्वतंत्र जांच की मांग कर रहे हैं। इसका उद्देश्य वायरस की उत्पत्ति के स्थल जैसे कुछ विवादित मुद्दों को छोड़कर इसकी रोकथाम के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के समन्वय से मिले सबक की समीक्षा करना है।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि उनके पास कोरोना वायरस के चीन की एक प्रयोगशाला में उत्पन्न होने का सबूत है, जबकि वैज्ञानिक समुदाय का कहना है कि अभी तक के सभी साक्ष्य यही कहते हैं कि वायरस जानवरों से मनुष्यों में सीधे आया है।
ट्रंप ने सोमवार को डब्ल्यूएचओ पर निराशाजनक काम करने का आरोप लगाया और कहा कि वह संगठन को दिए जाने वाले 45 करोड़ अमेरिकी डॉलर को घटाकर 40 करोड़ अमेरिकी डॉलर करने पर विचार कर रहे हैं। डब्ल्यूएचओ महानिदेशक टेड्रोस अधानोम गेब्रेयसस ने कहा कि वह उचित समय देखकर जल्द से जल्द कोविड-19 से निपटने में डब्ल्यूएचओ की भूमिका की स्वतंत्र जांच शुरु करेंगे।
चीन से दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन से पिछले कई दिनों से नाराज चल रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने WHO के डायरेक्टर डॉ. टेडरोस अधानोम गेब्रियेसस को लेटर लिखकर अगले 30 दिनों में ठोस कदम उठाने को कहा है। डोनाल्ड ट्रंप ने पत्र में लिखा, ‘यदि डब्ल्यूएचओ अगले 30 दिनों के अंदर कोई ठोस सुधार नहीं करता है तो फिर हम फंडिंग को स्थाई रूप से रोक देंगे। वहीं, संगठन में अपनी सदस्यता पर भी पुनर्विचार करेंगे।’ मालूम हो कि ट्रंप ने वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से निपटने में डब्ल्यूएचओ की भूमिका की समीक्षा होने तक अमेरिका की ओर से किए जाने वाले भुगतान पर अस्थाई रूप से रोक लगाई हुई है।